Friday, May 6, 2016

Amritvela

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Amritvela is very important to the Brahman Life.....!!

🎯☆☆अमृत वेला और उसका ब्राह्मण जीवन में महत्व☆☆

🌹अमृतवेला शुभवेला है।अमृत पीने की वेला।

ये वेला रात ढलने व दिन होने के बीच का समय है।

🌹पूर्वान्ह 2 बजे से लेकर पूर्वाह्न 5 बजे तक का समय ।🌹
Amritvela starts from 2a.m and ends at 5a.m

🌹* इसे अमृत वेला क्यों कहते हैं?why it is called as amritvela??

क्योंकि स्वयं शिव बाबा व ब्रह्मा बाबा अपना -अपना घर छोड़ कर हम बच्चों के घर हम से मिलने आते हैं।

🌹अपने परम धाम व सूक्ष्म धाम को छोड़ कर हमारे धाम स्थूल वतन में प्रवेश करते हैं।

🌹बच्चो को लाड़ प्यार दुलार देने
सुख ,शांति, प्रेम ,आनंद देने ।
पवित्रता ,शक्ति देने।
जैसे बच्चा अपनी माँ को सारा दिन खुद चिपके तो अलग बात है और काम ख़तम करके माँ खाली जब हो जाए खुद बच्चे को प्यार दुलार पुचकार करे तो उसमे फ़र्क है ।

🌹ऐसे ही बाबा के पास स्वयं जाना और उनका खुद आकर हमे स्नेह देना दोनो में फर्क है।

🌹अमृतवेले खुद बाबा दाता बनकर देने आते हैं। तो लेने में भी आनंद है।इस समय हम बच्चे अधिकारी होते हैं। और बाबा खुश होते हैं वा सब कुछ लुटाने के मूड में होते है।

🌹जो चाहे इस वक्त मांग लो।
अपनी डिमांड रखो। अपने दुःख दर्द सब बयाँ करो। वो ना नही करेंगे ।वा सब कुछ हमारे लिए करने की कोशिश करेंगे ।

बाकी समय हम खुद उनके घर परमधाम जाकर मांगते हैं।

🌹अमृतवेले के समय अधिकतर आत्माएं सोयी होती हैं ।
इस वजह से वाता वरण शान्त होता है। दिन में तो शोर , हलचल होती है ।सभी आत्माओ के व्यर्थ और नेगेटिव संकल्पों की भीड़ होती है।
पर अमृतवेले विचारों का ट्रैफिक बंद होता है।

🌹बाबा और हमारे मार्ग पर शांति होती है कोई संकल्पों का ट्रैफिक जाम नही होता ।इस तरह एक तो बाबा नजदीक होते हैं ।दूसरा रास्ते साफ़ ।तो हम बाबा तक फ़ास्ट स्पीड से असानी से और शीघ्रता से बिना थके पहुँच सकते हैं।
फिर जितना मर्जी जो चाहे बाबा से ले लो।

🌹विधि :----(Method )

🌹अमृतवेले उठ कर फ्रेश होकर अलग स्थान पर बैठ कर पहले अपने को देखो फिर अपने को भृकुटी में देखो। मन बुद्धि को केन्द्रित करो ।अब देखो बाबा सितारा आपके कमरे की छत पर चमक रहे हैं ।वहां अपना ध्यान लगाओ ।बुद्धि रुपी पात्र खोल दो ।
मन की तार बाबा से जोड़ दो।
अब उनसे करंट लो ।उनकी शक्तियों को अपने अंदर एबसोर्ब करो व उनके गुणों को रिसिव करो।फिर आप उनसे जो मांगना चाहते है।वो कहो ।अपनी समस्या अपना कोई विशेष कार्य वा जिसमे आप सफलता चाहते हो वो कहो।
जितना हो सकेगा बाबा अवश्य करेंगे ।

🌹सेवा(Seva)

🌹इस समय बाबा आपके साथ हैं वो आपको दे रहे हैं और आप जिसका भी कल्याण करना चाहते हो। उस आत्मा को सामने लाओ ।और उस पर सुख शांति की वर्षा करो। उसे स्वस्थ प्रदान करो । और भी आशीर्वाद कर सकते हो।

🌹किसी को समझाना हो। ज्ञान में लाना हो उस समय अपने संकल्प
उन्हें भेजो वो आत्मा इन vibs को कैच करेंगी क्योंकि सोते हुए आत्मा अशरीरी होती है।

🌹फिर ग्लोब को सामने रख शीतलता की और अपने सहारे की किरणे फैलाओ तो अवश्य उन्हें पहुंचेंगी। इस से हमारा पुन्य जमा होगा। ये भविष्य की कमाई का समय है ।

🌹हिसाब किताब(karmic a/c)

🌹अगर आपका किसी आत्मा के साथ कड़ा हिसाब किताब है। तो बाबा दलाल बन कर आपका हिसाब किताब उस आत्मा के साथ पूरा करा देंगे। बाबा आपके सामने हैं। आप अपने सामने उस आत्मा को रखो। बाबा से positive रेज़ लो और उस आत्मा पर डालो । उसे अवश्य शांति भी मिलेगी शीतलता भी मिलेगी और वो आत्मा बात को समझेगी भी। आप उसे सामने रख मन ही मन उस से बात करो ।

🌹विघ्न(obstacles)

निद्रा अमृतवेले सबसे बड़ा विघ्न है।निंद्रा हमे जगने नही देती ।अविनाशी कमाई करने नही देती।
जिससे न हम अपनी इच्छा पूर्ती कर पाते हैं ।न सफलता मिलती है।
न हिसाब किताब पूरे हो पाते है।
न हमारे में कोई बदलाव आता है
न शक्ति शाली बन पाते है।

🌹अमृतवेला हर ब्राह्मण आत्मा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।इसमें हमारा ही फायदा है।
बाबा का लाड़ प्यार पाने की ये उतम बेला है। इसलिए निद्रा जीत बनना है ।क्योंकि बाप का स्नेह अब थोड़े समय के लिए ही रहा है।

🌹इसके बाद ये कल्प के बाद ही मिलेगा। अगर अभी नही लिया तो कल्प कल्प के लिए इसे हम खो देंगे।


🌹अभी हम बाबा के कितने भाग्य शाली बच्चे हैं जो बाबा स्वयं हम तक पहुँच कर हमे मिलने आते हैं। और अपने हाथों जो चाहो वो देते हैं।

🌹हे आत्माओं जागो , समझो, निद्रा त्यागो और बाबा की प्राप्तियों से अपने आप को माला माल कर लो।

🌹* अभी नही तो कभी नही ।
🌹Now or Never


So, my dear divine brothers and sisters....please don't miss AMRITVELA....it's very precious time for each and every child of baba..!!

If we miss AMRITVELA....then for Kalpa Kalpa we miss it..!

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Wednesday, April 20, 2016

दैनिक कार्य करते समय


दैनिक कार्यों का निष्पादन करते समय तथा लौकिक कार्य व्यवहार में व्यर्थ मुक्त रहकर सदा ईश्वरीय याद में रहने की सरल विधि
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🔹नींद से जागकर जमीन पर पांव रखते समय :- मैं परम पवित्र और महान आत्मा हूँ. मेरे पवित्र पांव फर्श पर पड़ते ही यह जमीन पवित्र हो गई है.

🔹व्यायाम करते समय :- शारीरिक व्यायाम से मेरा तन स्वस्थ हो रहा है और साथ साथ मैं आत्मा अपने पांचों स्वरूपों अनादि, आदि, पूज्य, ब्राह्मण और फ़रिश्ता स्वरूप का अभ्यास करते हुए अपने मन और बुद्धि को शक्तिशाली बना रही हूँ.

🔹स्नान करते समय :- स्नान के समय यह स्मृति रहे कि मेरा तन के मंदिर जिसको मैं स्वच्छ कर रही हूँ. मैं आत्मा चैतन्य मूर्ति हूँ और बाबा के पवित्रता के झरने के नीचे स्थित हूँ जिससे मेरा मन, बुद्धि और संस्कार तीनों ही पवित्र और स्वच्छ बनते जा रहे हैं, उनमें दिव्यता भरती जा रही है. आन्तरिक व बाहरी स्वच्छता का अनुभव करें.

🔹शरीर को स्वच्छ कर कपड़े पहनाते समय :- मुझ चैतन्य मूर्ति को स्वच्छ कर नए गुणों के आभूषण व शक्तियों के अलंकार स्वयं भगवान पहना रहे हैं. मैं अशरीरी आत्मा श्रेष्ठ कर्म करने के अर्थ (ईश्वरीय सेवार्थ) इस पुराने चोले को उतार, लाइट का चोला धारण कर रही हूँ.

🔹बालों को तेल लगाते समय :- बाबा मेरी बुद्धि की मालिश कर रहे हैं जिससे मेरी बुद्धि शक्तिशाली बनती जा रही है.

🔹भिन्न-भिन्न प्रकार के श्रंगार करते समय :- बाबा मुझ चैतन्य मूर्ति का दिव्य गुणों से श्रंगार कर रहे हैं.

🔹बालों को कंघी करते :- मैं अपने संकल्पों को सुव्यवस्थित कर रहा हूँ.

🔹दर्पण में चेहरा देखते समय :- मैं ज्ञान रूपी दर्पण में अपने बाप समान सम्पन्न स्वरूप को देख रहा हूँ.

🔹ठंडी के कपड़े पहनते समय :- मैं माया के वार से बचने के लिए ड्रामा के ज्ञान का ओवरकोट पहन रहा हूँ.

🔹कपड़े धोते समय :- मैं अपने 63 जन्मों के पुराने संस्कार रूपी कपड़ों को ज्ञान के साबुन से धोकर स्वच्छ कर रहा हूँ.

🔹बर्तन धोते समय :- मैं अपनी बुद्धि रूपी बर्तन को धो रहा हूँ जिसमें परम श्रेष्ठ ज्ञान का भोजन बाबा अपने हाथों से परोसेंगे.

🔹बिजली का स्विच ऑन करते समय :- बुद्धि का स्मृति रूपी स्विच ऑन कर रहा हूँ.

🔹मोबाइल को चार्जिंग में लगाते समय :- मैं आत्मा परमात्मा रूपी पावर हाउस से खुद को जोड़कर चार्ज हो रही हूँ. मेरी चार्जिंग होने के बाद मैं ईश्वरीय कार्य में ही इस चार्जिंग पॉवर का उपयोग करूंगी.

🔹लाल रंग को देखते समय :- परमधाम की स्मृति (आत्मिक स्वरूप) की स्मृति जागृत हो.

🔹बिजली चालू होने पर :- मैं बाबा के लाइट की छत्रछाया के नीचे बैठा हूँ.

🔹सफैद प्रकाश को देखने से :- सूक्ष्म वतन की याद आए. फ़रिश्ता स्वरूप की स्मृति आए.

🔹फेन, एयर कूलर चालू होने पर :- बाबा मुझे अपने ज्ञान के शीतल लहर द्वारा माया के विकारों की गर्मी सा बचा रहे हैं.

🔹हीटर चालू होने पर :- बाबा मुझमें नए उमंग उत्साह का फ़ोर्स भर रहे हैं जिससे मेरे अंदर से अलबेलेपन की ठंडी गायब होती जा रही है.

🔹आलमारी का दरवाजा खोलते समय :- मैं अपने चारों सब्जेक्ट के जमा के खाते को चेक कर रहा हूँ.

🔹कमरे में प्रवेश करते समय :- गेट वे टू हेवन की स्मृति जागृत हो. मैं अपने भाग्य का दरवाजा खोल रहा हूँ.

🔹ताला खोलते समय :- मैं अपनी बुद्धि का ताला "मेरा बाबा" शब्द की सुनहरी (गोल्डन) चाबी से खोल रहा हूँ.

🔹ताला बंद करते समय :- माया (चूहा/चोर) के आने के सब दरवाजे बंद कर रहा हूँ.

🔹घर से निकलते समय :- मैं आत्मा ईश्वरीय सेवाधारी हूँ, आज मुझे कम से कम एक आत्मा को ईश्वरीय सन्देश देना है.

🔹बात करते समय :- जिस तरह मैं आत्मा अपने मस्तक पर विराजमान हूँ, उसी तरह मेरे सामने उपस्थित हर आत्मा अपने शरीर में मस्तक रूपी सिंहासन पर विराजमान है. हम सब सर्वशक्तिमान शिव परमात्मा की संतान महान आत्माएं हैं. इसलिए मुझे सबसे सम्मानपूर्वक ही बात करना है.

🔹सीट पर बैठते समय :- मैं अपने स्वमान की सीट पर सेट हो रहा हूँ, मैं अपने स्वराज्य अधिकारी की सीट पर सेट हो रहा हूँ, मैं अपने विश्व राज्य अधिकारी की सीट पर सेट हो रहा हूँ.

🔹पानी पीते समय :- यह स्थूल जल मेरे शरीर की प्यास को शांत कर रहा है और परमात्म प्यार से भरपूर मुरली रूपी ज्ञानामृत से मुझ आत्मा की अनेक जन्मों की प्यास बुझ रही है.

🔹रोड क्रॉस करते समय :- मैं आत्मा बाबा का हाथ पकड़कर इस सांसारिक विषय वैतरणी नदी को पार कर रही हूँ.

🔹पार्क में घूमते समय :- मैं आत्मा अपने सतयुगी राज्य में हूँ. चारों और हरियाली और खुशहाली है. मेरे आसपास घुमने वाले सभी लोग सतयुगी देवात्माएँ हैं, जो मेरे ही परिवार के हैं.

🔹सीढ़ी चढ़ते समय :- एक एक सीढ़ी चढ़ते हुए मुझ आत्मा की चढ़ती कला हो रही है, मेरा आत्मभिमान बढ़ता जा रहा है. मैं आत्मा अपने आदि देवताई स्वरूप की और बढ़ रहा हूँ. सभी सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद अपनी मंजिल पर पहुँचते ही देवताई स्वरूप को धारण करने का अनुभव कर रहा हूँ.

🔹सीढ़ी उतरते समय :- मेरा देहभान इन सीढ़ियों के साथ उतरता जा रहा है, मैं आत्मा एक एक सीढ़ी उतरते उतरते अशरीरी बनती जा रही हूँ. अंतिम सीढ़ी उतरते ही मेरा समस्त देह अभिमान समाप्त हो गया है.

🔹साइकिल/स्कूटर/मोटरसाइकिल पर सवारी करते समय :- मैं आत्मा अशरीरी होकर सारे विश्व का भ्रमण कर रहा हूँ. मैं फ़रिश्ता लाइट के शरीर द्वारा लाइट के वाहन पर सवार होकर सारे विश्व का भ्रमण कर रहा हूँ. मैं अपने आदि देवताई स्वरूप में स्थित होकर अपने पुष्पक विमान पर विराजमान होकर अपने राज्य का चक्कर लगा रहा हूँ.

🔹मुरली क्लास में प्रवेश करते समय :- यह आत्मा का भोजनालय है जहाँ आत्माओं को ज्ञान रत्नों का भोजन स्वयं रत्नागर बापदादा आकर अपने अनुभवी हाथों से खिलाते हैं, जिसे मैं आत्मा स्वीकार करते ही ज्ञान, गुण व शक्ति स्वरूप बनती जा रही हूँ.

🔹मुरली सुनते समय :- स्वयं भगवान् मुझ आत्मा का ज्ञान रत्नों से श्रंगार कर रहे हैं, मुझे धारणा मूर्त बना रहे हैं.

🔹वरदान सुनते समय :- स्वयं सद्गुरु अपना वृहद हस्त मुझ आत्मा पर रखकर वरदान दे रहे हैं जिसे धारण कर मैं वरदानी मूर्त बन रहा हूँ.

🔹किताब को देखते समय :- अपनी ईश्वरीय विद्यार्थी की स्मृति जागृत हो.

🔹कलम को देखते समय :- मेरे हाथ में अपने भाग्य की लकीर खींचने की श्रीमत रूपी कलम है. मैं आत्मा जितना चाहूँ उतना ही अपने भाग्य की लकीर खींच सकती हूँ.

🔹कुछ लिखते समय :- स्मृति आये कि हम अनेक आत्माओं के भाग्य की लकीर खींच (जन्म पत्री लिख) रहे हैं.

🔹ऑडियो तथा विडियो केसेट को देखते समय :- यह संकल्प जागृत हो कि मुझ आत्मा में भी 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है जिसे मैं आत्मा अच्छी तरह से बजा रही हूँ,

🔹घड़ी को देखते समय :- सृष्टि चक्र की याद जागृत हो और यह स्मृति जागृत हो कि यह वक्त जा रहा है ... जो करना है सो अब कर ले, अभी नहीं तो कभी नहीं.

🔹पेड़ को देखते समय :- कल्प वृक्ष की स्मृति जागृत हो. सारे आदि-मध्य-अंत का ज्ञान बुद्धि में घुमने लगे.

🔹भोजन करते समय :- मेरा हर दिन ब्रह्मा भोजन का दिन है, यही स्मृति जागृत हो. इस ब्रह्मा भोजन से मैं आत्मा शक्तिशाली बनती जा रही हूँ और मेरा शरीर रोगमुक्त होता जा रहा है. मैं आत्मा लाइट हूँ, लाइट की थाली में माईट (प्योर एनर्जी) से भरपूर भोजन को ग्रहण कर रही हूँ जो मुझ आत्मा में प्रवेश होकर मेरी माइट (एनर्जी) को बढ़ा रहा है.

🔹कार को देखते समय :- जैसे कार और ड्राईवर अलग अलग हैं, ड्राईवर जब चाहे तब कार में बैठकर उसे चला सकता है और जब चाहे तब उससे अलग होकर बाहर निकल सकता है, वैसे ही मैं आत्मा जब चाहे इस देह रूपी वस्त्र से अलग हो सकती हूँ, जब चाहे इसमें बैठकर साक्षीभाव से कार्य करा सकती हूँ. विदेही स्थिति का अनुभव/देह में होते हुए देह से न्यारेपन की स्थिति का अनुभव हो.

🔹बिस्तर पर सोते समय :- यह स्थूल बिस्तर मेरे शरीर के विश्राम के लिए है. मेरा असली बिस्तर तो बाबा की गोदी है. मैं आत्मा अपने शरीर को इस बिस्तर पर ही छोड़कर बाबा के पास जाकर उनकी गोदी में लेट गई हूँ, मुझे बाबा की गोदी में बहुत अच्छी नींद आ रही है.

💖 से ॐ शांति 💐